Saturday, September 25, 2010

चार पल के जीने में हर पल की याद

ज़िन्दगी क्या है ........... पता नहीं .....पर जब हम इस ज़िन्दगी की गाड़ी में सवार हो जाते है और वो चलने लगती है तो उसके साथ चलते चलते ............पता नही क्या क्या इस के कदमो तले पिस कर रह जाता है ....कभी कभी तो वो मायने भी जो ज़िन्दगी को जीने लायक बनाते है ......और जिनके बिना ज़िन्दगी.... ज़िन्दगी न रह कर खुद के कंधो पर बंधा एक बोझ बन के रह जाती है........

और फिर भी एक उम्मीद के साथ चलते रहते है की इस बार हमारे साथ कुछ बुरा नहीं होगा...शायद अगले मोड़ पर कोई पटरी मिल जायगी जो हमारे साथ चलेगी ...........पर हम भूल जाते है की ये दुनिया कभी हमारी नहीं थी ....न है और न होगी ...........बस जीना है कुछ पल और फिर चले जाना है ...... पर ये चार पल के जीने में हर पल की याद साथ हो जाती है जो ....सारी उम्र हमारा साथ देती है ......

प्यार भी ऐसा ही एक एहसास है जो लगाओ तो न लगे और जो लग जय तो कभी न मिटे ........... इस ज़िन्दगी की गाड़ी में चलते चलते .....जब कोई इतना प्यारा सा इन्सान हम पर अधिकार कर लेता है तो उस मे खो जाना भी ऐसे फीलिंग है जिसे अभिव्यक्ति नहीं दी जा सकती ......... प्यार में दूर होने और पास होने से कोई फर्क नहीं होता .....बस वो तो होता है और हमेशा रहता है ...... वो तो निर्वैर और निर्विकार है.... ये तो बस देना जनता है ....कभी कुछ नहीं मांगता ...जैसे सभी इसी के ऋणी महसूस होते है या कहू की है..... ये तो ऐसा भाव है जिसे जिसने छुआ वो पारस बन गया .......... वो भी इसी के तरह पवन हो गया .....वो भी सब की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी तलास करता रहा ...... पर ये जीवन में
कभी न भूलने वाली समृतिया दे जाता है जी हमेसा पास होती है ......

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Tuesday, August 18, 2009

अकेला आया है तू , अकेला ही जायगा .........!!!

ज़िन्दगी भी नये नये रूप दिखती है ...........रिश्ते अपने होते है ......... कब हाथ से छूट जाते है पता ही नही चलता........और हम साधारण मानव ईश्वर की इस लीला को समझ ही नही पाते कि ............यहाँ कुछ भी हमारा नही है यह तक कि हम खुद भी...............ये संसार तो नश्वर है । सब कुछ ही नश्वब है.............पर हम ये भूल जाते है और छोटी-छोटी चीजो को अपनी ज़िन्दगी समझने लगते है................ऐसा लगता है की उन में ही हमारी आत्मा बसती हो...........ये मेरा है..........वो मेरा है ...............मैं उसके बिना नही जी सकती..............ये पापा ......वो मम्मी ............मेरा भाई........मेरे बहन ...............ये मेरा पति ..........ये मेरे ज़िन्दगी ............ये मेरा प्यार .............ये मेरा दुश्मन ............सब से कितने जुड़े रहते है हम.......और एक दिन जब वो कह दे कि बस हमारा साथ यही तक था और हाथ छोड़ दे .........और फिर हमारा सोचना ............अगर वो न हुआ तो ज़िन्दगी में कुछ भी बाँकी नही रहा .........उसके बिना ज़िन्दगी रुक सी गई है । पागलो की तरह हर रिश्ते को अपनी इन नाजुक मुठ्ठियों में बांधने की नाकाम सी कोशिश में लगे रहते है और भूल जाते है की इस जीवन में कुछ भी हमारी मर्जी से नही होता........हम तो बस एक अच्छे कलाकार की भांति अपना रोल पूरा करते है .........

कल मेरे पीछे मेरा बचपन छूट गया , अहसास भी न हुआ फिर मेरा गाँव,फ़िर वो टॉफी , लोलीपोप , गुडिया , खिलोने , बचपन के दोस्त , मस्ती , मज़ा , छोटी -छोटी बात पर लड़ना-झाड़ना , सब कुछ ही छूट गया .......और बचपन की वो मासूमियत भी तो कही छूट गई और अहसास भी नही हुआ ...... फ़िर स्कूल , कॉलेज भी छूट गया ....सब टीचर , दोस्त -यार भी........ बस यादो तक ही रह गये और साल-साल कर के सब कुछ छूटता गया और फिर रह गई हमारे पास कुछ खट्टी और कुछ मीठी यादें........

कभी कभी लगता है कि मैं किसी टूर पर हूँ ......!! और जगह-जगह रुक कर हर पल को जी रही हूँ । फिर आगे निकल जाना है और सब कुछ यही पीछे रह जायगा ........एक जर्रा भी मेरे साथ नही चलेगा सब कुछ ही .........जो हम चाहते है पीछे रह जाये वो भी ...........और वो भी जो हम अपने साथ रखना चाहते है......पर भारी आंखो से भी उसे हमें पीछे छोड़ना होता है क्योकि जीवन गतिमान है और इसे तो बस चलना ही आता है.............और जब ये नही रुकता तो हम कैसे रुक सकते है ...................

चाहे जितना भी रोलो पर जो जाना है उसे हम मर कर भी नही रोक सकते..............जो हमारा नही है अगर उसे ताला लगा कर भी बंद रखो तो वो भी चला ही जायगा ...................जीना तो हर हाल में पड़ता है और एक समय ऐसा भी आता है की सारे रिश्ते नाते छूट जाते है एक ही पल में .................

पर फिर भी अपने अकलेपन से लड़ते हुए हमे जीना पड़ता है .............आगे बढ़ना पड़ता है ...................चाहे पाँव में कितने भी छाले क्यो न हो..................चाहे भावनायें छलनी हो जाये जीना तो पड़ता है.................क्योकि यही तो है जिन्दगी..............जहाँ मर कर भी चलना होता है जो किसी के लिये नही रुकती..............

चाहो तब भी नही...............और न चाहो तब भी नही .......................और पता नही कब हम इतनी दूर निकल आते है की जब हम पीछे मुड कर देखते है तो बस एक धुन्धला सा साया ही नज़र आता है और धीरे धीरे वो भी काल चक्र में कही लुप्त हो जाता है .........................

पर कितने कमाल की बात है सब कुछ छूट जाता है पर ये दुर्भाग्य नही छूटता .........ये दर्द, आंसू , प्रेम, यादें, खालीपन, हमारा साथ नही छोड़ता..................संग चलती रहते है बिना रुक जीवन की तरह ......................कभी कभी लगता है जब सब का साथ छूट जाना है तो ये भी हमारा साथ क्यो नही छोड़ देते .................

**********

जो भी है पास में ...
यही रह जायेगा।
मेरा मेरा करता हुआ...
एक दिन तू भी मर जायगा ।
लूट लेगा कोई तुझ से तेरे ख़ुशी .....
आंख धोता हुआ तू ही रह जायगा ।
चाहोगे रोकना वो रुकेगा नहीं ......
वक़्त की आरी से सब कुछ कट जायगा ।
इस दुनिया की बस रीत है यही ......
अकेला आया है तू , अकेला ही जायगा ।
अकेला आया है तू , अकेला ही जायगा ।

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Saturday, June 6, 2009

ऐसा कोई कभी दुबारा न मिल सकेगा ......


ये अन्तर जाल की दुनिया ही अजीब होती है…………एकदम परियो की कहानी जैसी। जहाँ बैठे-बैठे सारी दुनिया की सैर पर निकल जाते है !! ……और पता ही नहीं चलता .........अगर कहे की पुरे के पुरे घुमाक्कड हो जाते है तो ग़लत न होगा......!! हमारे साथ भी कभी ऐसा होगा पता न था ....पर हो ही रहा है । पता नही …..किसीने बड़ी ही प्यारी चीज बनाई ……..ऑरकुट ......जी हा ऑरकुट !!

यहाँ न जाने कितने ही लोग मिलते है......... बातें करते है ........ दोस्ती होती है...... पता नही क्या क्या होता है .......बस ऐसा ही कुछ हुआ हमारे साथ भी। नए नए ऑरकुट पर गए थे और वहां जा कर मिली एक अलग सी दुनिया जहाँ हर कोई फ्लर्ट करने की कोशिश करता ....ऐसा लगता की ऑरकुट कोई मेट्रिमोनिअल साईट हो .......!! पर मेरे साथ बिल्कुल अलग हुआ ।

आप को बताउंगी तो आप सोचेंगे के ये क्या हुआ ............इस अंतरजाल की दुनिया मे मुझे सब से खास चीज मिली जिससे मैं सदा महरूम थी ..........दिल की बात कहती हूँ मेरा कोई भाई नही था……… हमेशा मन मैं एक खलल रहता था की मेरा कोई भाई नही है । कास ! मेरा एक भाई होता जो मेरे साथ खूब खेलता, मुझे बहुत प्यार करता मुझे आइसक्रीम खिलाता................... और हम दुनिया के सब से अच्छे भाई बहन होते ये तो पक्का था .....अगर कोई मुझे बुरी नज़र से देखता तो एक खीच कर चपत लगता और सारे गंदे-गंदे लड़को की छुट्टी कर देता .........

और इस प्यारे से ऑरकुट की वजह से मुझे मेरा भाई मिल गया ........एक बहुत की प्यारा इन्सान है वो…………॥ एक दम सच्चा और अच्छा .......भाई होने की सरे गुण है उसमे। वो एक दम भाई की तरह ही गुस्सा करता है और कभी उसने आइसक्रीम तो नही खिलाई पर मांगी मैंने बहुत बार है और वो भी कहता है जरूर खिलाऊंगा…..!! पता नहीं कितनी पार्टी ड्यू है । वो मुझे इतना प्यार देता है की आइसक्रीम की मिठास कम हो जाए….. मान को बहुत ठंडक मिलती है की मेरा एक भाई है ..........बहुत प्यारा सा …… मेरा भाई ।

मैं खुश थी अब वो खालीपन भर गया जो पहले हुआ करता था …….वो भी कहता था की तुम पहली लड़की हो जिसने मुझे भाई कहा है वरना ऑरकुट पर ऐसा नही होता……..वो बहुत सुलझा सा इंसान है ……. वो कहता था मैं नहीं चाहता की तुम ऑरकुट पर रहो वेशक हम यही मिले है…… पर मेरी बहन ऑरकुट पर अच्छी नहीं लगती .....और मैंने अपना ऑरकुट अकाउंट डीलीट कर दिया ।


एक प्यारी सी भाभी भी चुन ली है उसने मेरे लिये!! और वो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है……पर सब जानते है ……. और मैं भी जानती थी की जब मैं घर में बताउंगी तो अंज़ाम अच्छा न होगा…….मेरे और उसकी तरह वो भी ऑरकुट को उतना अच्छा नहीं मानते …।



ऑरकुट डीलीट करने के बाद हम जी मेल पर बात करते या मेसेज भेज देते थे .....एक या दो बार फ़ोन पर भी बात की ……पर हमारे घर वाले कुछ रुढीवादी है वो नही समझ सके मेरे और उसके पवित्र रिश्ते को……… और फिर क्या था हंगामा हो गया। फोन की सीम ले ली गई…..तरह तरह से समझने की कोशिश की गई……. कि दुनिया बहुत खराब होती है और लड़को की फितरत मैं नहीं समझती, उन्हे तो बस कोई मिलना चाहिए बात करने के लिये फिर वो दोस्त बन कर बात करे या बहन बन कर उनके मन में कोई फीलिंग्स नही होती …….. बगैहरा … बगैहरा ।



सारे घर में तूफान आ गया जैसे मैने कोई गुन्हा कर दिया हो……बस एक भाई ही तो पा लिया था जिसकी कमी में हमेशा महसूस करती थी ……. और मजबूर हो कर मुझे उससे बात करना बंद करना पड़ा। मम्मी ने कसम दे कर कहा की अगर तू मुझे प्यार करती है तो उस से बात करने बंद कर दे। मैं उन्हें देखती रह गई कि वो क्या कह रही है फिर क्या था माँ और भाई के बीच कसमकस शुरू हो गई और जन्म देने वाली माँ का प्यार मुझ पर हावी हो गया और मेरा भाई खो गया मुझसे…….

शायद कभी भी दुबारा बात करने का मौका न मिल सके। उसे कभी देखा नही है पर वो हमेशा मेरा भाई रहेगा । क्या हुआ अगर बात न करु…..उसे कभी न मिलु पर मन में जो भावना उस के लिये है वो कभी नही बदल सकती। वो मेरा भाई है और हमेशा रहेगा । चाहे फिर मेरा भाई भले ही ये कह की मैने उसे धोखा दिया है…….. धोखा तो दिया है पर भाई में तेरे बहन हूँ और जब मन से महसूस करोगे तो मेरे मजबूरी भी समझ जैओगे। और एक बात जो मैं अपने भाई से न कह सकी…… आप हमेशा मेरे प्यारे अच्छे वाले भाई रहोगे ……चाहे में बात न करु ……..और में ये जानती हूँ जब मेरा भाई जनेगा तो मुझे माफ नही करेगा इस गलती के लिये …… और करे भी क्यो …….?? उसे अपनी बहन बहुत प्यारी है सब से जयादा और वो ही ऐसे चली गई बिना कुछ कहे…. हां
बिना कुछ कहे तो फिर कैसे माफ़ करेगा ……..

बस अब इतना समझ आता है।
कि ऐसा भाई कभी दुबारा न मिल सकेगा।।


जो खलल मेरे मन में बचपन से है।
वो बुढापे तक साथ न छोडेगा।।


मिल तो जायेगा हमे सब कुछ।
बस तेरे जैसा कोई दूसरा न मिलेगा।।


सब से होंगे झगडे हमारे।
बस एक तू ही हमसे न लडेगा।।


रिश्ते तो बहुत है इस दुनिया में निभाने को।
बस तुमसे ही हमारे कोई रिश्ता न रहेगा।।


चाहत तो बहुत है की तुझ को माना लूं।
पर माँ का कर्ज है वो कैसे चुकेगा।।


लोगो से भारी होगी ये मेरी ज़िन्दगी।
बस एक तू ही मुझ से रूठा हुआ हमेशा दूर रहेगा।।


चाहे कहे कुछ भी कोई ग़म न करूँगी।
तू ता-उम्र बस मेरा भाई ही रहेगा।।

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Tuesday, May 26, 2009

दूरिया प्रेम को और भी मीठा बना देती है

दूर रह कर भी तो हम दूर नही हो पाते अपने अतीत से...........हमेशा जुड़ा रहता है हम से हमारे साये की तरह ! और चाह कर भी हम उससे दूर नही हो पाते या यह कहु की होना ही नही चाहते बहुत अच्छा लगता है उनको याद करना ........... चाहे वो हमारे साथ नही होते पर दूर भी कहा हो पाते है.................. न हम..........न वो................ न उनकी यादें।
दूरिया प्रेम को और भी मीठा बना देती है! एक अलग सा भरोसा होने लगता है ...............उनपर जो हम से दूर होते है और वो भी तो जी भर कर याद करते ..............है और उनके दिल का धड़कन हम यह तक सुन पाते है...............एक खिचन से होती है जैसे कोई खीच रहा हो और दिल झूम उठता है !!!
चंचल मन अधीर होने लगता है उनसे मिलने को .........और तक़दीर की विवशता ये होती है की उनसे मिल नही सकते ...................!!!
फिर अपने दोनो आंख मूंद कर उनको अपने ही अन्दर पा लेने की मासूम से कोशिश कमाल के असर रखती है ...........फिर बस उनका दिदार कर नयन गंगा जमुना की तरह बह चलते है तप तप तप.............और बहते बहते चल पड़ते है अपने समंदर की और पहने अपने हो आँखों की दिवार तोड़ कर फ़ैल जाते है गालो पर और फ़िर होटो पर लग कर गर्दन से धीरे उतर कर खो जाते है मेरे दुपट्टे में.........उस पल ऐसा लगता है की आंखो ने एक नदी बनाई है और उम्मीद की नौका पर बैठ कर मन चल पड़ता है उस और जहाँ आंसू की नदी के पार वो मिलेंगे और फिर कोई कामना न शेष रह जायेगी ..........
एक पूर्णता की अनुभति होगी वहा ...............वहा पर कोई बंधन न होगा !!!!!..................बस एक ही पदार्थ सर्वत्र होगा .............................हमारा प्रेम कोमल फूल की तरह , शीतल, मचलता सा , या कहु ओस की बंद सा , सूरज की पहली किरण सा एक पूर्णता के अनुभव दिलाता हमारा प्रेम बस.................

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Wednesday, May 13, 2009

छोटी सी बात

कितना आसन होता है दुनिया के दुःख दर्द से अपना मुह मोड़ लेना ........सच बहुत आसन !! पर जब ख़ुद के ही दुःख दर्द की बात आती है तो सहा नही जाता और फ़िर दुनिया के हर इन्सान के दुःख दर्द हमें याद आने लगते है जिन्हें हम भूल चुके होते है। उनकी एक एक बात याद आती है । ऐसा लगता है की उनकी आखें हमें घूर रही हो । तब हम ख़ुद पर दया तक नही कर पते और हमारी आत्मा रो पड़ती है की हम कितने दीनऔर लाचार है...... आज हमारे पास कोई नही है जो समझ सके हमारे भावो को ....ज्यादा नही बस साथ बैठा रहे चाहे कुछ न कहे । रोने के लिए कोई कन्धा तो हो ....और तब कोई नही होता ....हम भी कहा हो पते है अपने साथ । ऐसी स्तिथी होती है हमारी की मन करता है ख़ुद के अंधेरे मे ही कही खो जाए .......पर कहा बस चलता है हमारा किसी की उम्मीद की रौशनी जीने को मजबूर कर रही होती है हमें पर पता नहीं चल पता की ये उम्मीद झूठी है या सच्ची ! बस यही कशमकश होती है की कैसे भी पता चल जाये की हम जो कर रहे है वो ठीक है या नहीं ? पर पता नहीं चल पता और तब भुत दया आती है........खुद पर !

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